उत्तर प्रदेश

इस क्रिमिनल के लिए अपनी और बहन की शादी का खर्च जुटाने का शॉर्टकट था अपहरण, 10 साल के मासूम की ले ली जान

गोरखपुर
सत्यनारायण के इकलौते बेटे आयुष का अपहरण कर फिरौती की रकम रामसिंह अपनी और बहन की शादी की में खर्च करने की तैयारी में था। पुलिस के मुताबिक बहन की शादी 28 मई को तो रामसिंह की 2 जून को तय थी। शादी में खर्च के लिए परिवार के लोगों ने राम सिंह से पांच लाख रुपये की व्यवस्था करने को कहा था। आपराधिक मानसिकता वाले रामसिंह ने शॉर्टकट से पैसे का इंतजाम करने के लिए अपहरण का प्लान बनाया। आयुष सत्यनाराण का इकलौता बेटा था इसलिए रामसिंह को उम्मीद थी कि उसके अपहरण पर आसानी से फिरौती के रूप में पांच लाख रुपये मिल जाएंगे।

रामसिंह से पूछताछ करने वाले एसपी साउथ अरुण कुमार सिंह ने बताया कि उसने अपहरण के बाद फिरौती की रकम वसूलने के लिए पूरी प्लानिंग की थी। वह सत्य नारायण के साथ रहकर ही घटना को अंजाम देना चाहता था ताकि उस पर किसी का ध्यान न जाए। आयुष को साथ ले जाने के दौरान दो अन्य बच्चों ने उसे देख लिया इसलिए रामसिंह की योजना पर पानी फिर गया। एसपी साउथ ने बताया कि आयुष का अपहरण कर पुल के नीचे रखने के बाद रामसिंह फैक्ट्री पहुंचकर सत्यनारायण के साथ काम करने लगा था। उसने पुलिस को बताया कि सत्यनाराण उसके पड़ोसी हैं, उनके घर में फिरौती के लिए चिट्ठी फेंकता और पांच लाख रुपये मांगता। वह फिरौती की रकम जब देने को तैयार होते तो उनकी छोटी बेटी के हाथ से रकम मंगाता। रामसिंह की प्लानिंग सुन पुलिस भी दंग रह गई।

पुलिस के मुताबिक, साल 2016 में खोराबार इलाके में ट्रक मालिक की हत्या कर सरिया लूट की वारदात को भी रामसिंह ने अंजाम दिया था। इस मामले में वह जेल गया था। वर्ष 2020 में जमानत पर जेल से छूटा था, और तभी से गीडा में सत्यनारायण के साथ बिस्किट की फैक्ट्री में काम करने लगा था। रामसिंह तीन भाइयों में सबसे बड़ा है। उसके दो और भाई रामनाथ और रामप्रसाद घर पर ही रहते हैं तीनों की शादी नहीं हुई है। उसकी दो बहनें है बड़ी बहन की शादी 28 मई को और रामसिंह की शादी 2 जून को तय थी।

दो बच्चों ने देखा था रामसिंह के साथ आयुष को जाते
आयुष जब घर नहीं पहुंचा तो परिवार के लोग परेशान हो गए। गांव में घर-घर उसे तलाशने लगे। साथ पढ़ने वाले दो बच्चों ने रामसिंह को आयुष को ले जाते देखा था। शाम चार बजे के करीब उन्‍होंने ग्रामीणों को यह बात बताई। रामसिंह जब वह गांव लौटा तो गांव के लोगों ने उसे पकड़ लिया और पूछताछ शुरू कर दी। उसने बताया कि वह दिन में फैक्ट्री में था। पुलिस ने कड़ाई से पूछताछ की तो उसने आयुष के बारे में जानकारी दी लेकिन तब तक रात के 11 बज चुके थे और पुल के नीचे रात के अंधेरे में भूखा-प्यासा आयुष बदहवास हालत में पड़ा था। उसे अस्पताल ले जाया गया लेकिन जान नहीं बच सकी।

आयुष के पिता ने ही दिलाई थी नौकरी
आयुष के पिता सत्यनारायण और रामसिंह सगे पट्टीदार हैं। सत्यनरायण ने ही रामसिंह को गीडा की फैक्ट्री में नौकरी दिलाई थी। दोनों साथ ही ड्यूटी पर जाते थे। बुधवार को सत्यनारायण सिंह ड्यूटी चले गए, रामसिंह उनके साथ नहीं गया था। दोपहर में स्कूल की छुट्टी होते ही रामसिंह आयुष (10) के स्कूल पहुंच गया। चूंकि आयुष रामसिंह को जानता-पहचानता था, इसलिए वह भी उसके साथ चला गया। रामसिंह ने आयुष के हाथ-पैर बांध दिए और उसके मुंह में कपड़ा ठूसकर नदी के किनारे फेंक दिया। इसके बाद वह फैक्ट्री में काम करने पहुंच गया।

तीन बहनों के बाद पैदा हुआ था आयुष
सत्यनरायण सिंह की पहली पत्नी से तीन बेटियों के बाद आयुष का जन्म हुआ था। जन्म के कुछ दिन बाद आयुष की मां की मौत हो गई। सत्यनारायण ने बच्चों की परवरिश के लिए दूसरी शादी कर ली। दूसरी पत्नी से एक बच्ची का जन्म हुआ। कुछ दिनों बाद दूसरी पत्नी की भी मौत हो गई। उसके बाद से सत्यनारायण गांव पर रहकर खुद ही बच्चों की देखभाल करते हैं, साथ ही वह गीडा में नौकरी करते हैं। आयुष की बड़ी बहनें अंबिका, अंकिता, अनामिका उसकी देखभाल करती थीं। सात वर्ष की राखी सबसे छोटी है।

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