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मुशर्रफ को शांति का दूत क्यों बता रहे थरूर? बयान से सियासी पारा हाई, अब दे रहे सफाई

नई दिल्ली 

पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का रविवार को दुबई के अमेरिकी अस्पताल में निधन हो गया। वह लंबी बीमारी से पीड़ित थे। मुशर्रफ के निधन पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने ट्वीट कर शोक जताया। अपने ट्वीट में थरूर ने मुशर्रफ को एक वक्त का शांति दूत कह कर संबोधित किया। इस ट्वीट के बाद सियासी पारा गर्म हो गया है और बीजेपी ने थरूर को आड़े हाथों लिया है। शशि थरूर के ट्वीट पर उन्हें घेरते हुए केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि कांग्रेस के एक पूर्व विदेश राज्य मंत्री को लगता होगा कि एक पाक जनरल जिसने आतंक फैलाया, पीठ में छुरा घोंपा और हर अंतरराष्ट्रीय नियम का उल्लंघन कर हमारे सैनिकों को प्रताड़ित किया। वह शांति की वास्तविक ताकत बन गया।

थरूर ने पेश की सफाई
ट्वीट के ऊपर बढ़ते बवाल को देखते हुए शशि थरूर ने अपनी सफाई पेश की है। उन्होंने कहा, "मैं एक ऐसे भारत में पला-बढ़ा हूं जहां आपसे लोगों के मरने पर उनसे प्यार से बात करने की उम्मीद की जाती है। मुशर्रफ एक कट्टर दुश्मन थे और कारगिल के लिए जिम्मेदार थे, लेकिन उन्होंने 2002-7 में उन्होंने अपने हित में भारत में शांति के लिए काम किया।" थरूर ने रविवार को पाकिस्तान के पूर्व सैन्य शासक के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि "कभी भारत के कट्टर दुश्मन, वह शांति के लिए एक वास्तविक ताकत बन गए।"

मुशर्रफ का लंबी बीमारी के बाद संयुक्त अरब अमीरात के अमेरिकी अस्पताल में रविवार को निधन हो गया। भारत और पाकिस्तान के बीच कारगिल युद्ध के दौरान मुशर्रफ पाकिस्तान के सेना प्रमुख थे। माना जाता है कि मुशर्रफ की तरफ से दोनों देशों के बीच संघर्ष, पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की जानकारी के बिना ही किया गया था। 1999 में एक सैन्य तख्तापलट के बाद मुशर्रफ पाकिस्तान के दसवें राष्ट्रपति थे।
 

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