उत्तर प्रदेश

चोरी के केस में कोर्ट ने किया रिहा, फिर मुफ्त इलाज के लिए ऐसे दोबारा जेल पहुंचा चोर

वाराणसी 

वाराणसी में पड़ाव (चंदौली) के रतनपुरा का रमेश उर्फ बोदा छोटी-मोटी चोरी करता था। पिछले साल सिगरा क्षेत्र में चोरी के दौरान उसके बाएं पैर में चोट लग गई। इस दौरान प्राथमिक इलाज के बाद कोर्ट में पेश करते हुए उसे जिला जेल भेज दिया गया। जेल में पैर का जख्म बढ़ गया। जिला चिकित्सालय के डॉक्टर ने ऑपरेशन की सलाह दी। जेल प्रशासन ने कागजी कोरम के बाद इलाज के लिए एक लाख रुपये का इस्टीमेट मुख्यालय भेजा। इस बीच 25 अक्तूबर 2022 को लोक अदालत लगी, जिसमें उसने जुर्म कबूल कर लिया। मामूली जुर्माना लगाकर उसे छोड़ दिया गया। इस बीच उसके इलाज के लिए धनराशि भी स्वीकृत हो गई।

जेल से बाहर आने के बाद उसे जेल प्रशासन की ओर से इलाज के लिए मदद नहीं दी जा सकती थी। अपने खर्च से इलाज कराने में वह सक्षम नहीं था। ऐसे में इलाज के लिए 13 जनवरी को उसने सिगरा क्षेत्र में फिर चोरी की। उसी दिन सिगरा पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। जेल में उसने अफसरों को बताया कि इस दफा वह इलाज के लिए कारागार आया है। अब जेल प्रशासन नियमों के तहत उसका इलाज कराने में जुटी है।
 

मां भी पहुंची थी जेल
जिला जेल अधीक्षक अरुण कुमार सक्सेना ने बताया कि उसकी मां भी मुलाकात के लिए पहुंची थी। उसने मिन्नत की कि उसका इलाज करा दिया जाए। इसी गरज से वह वापस जेल आ गया है।

लैपटॉप-मोबाइल चोरी में गया जेल, उसी दिन पकड़ाया
सिगरा के अन्नपूर्णानगर कॉलोनी से एक मकान से लैपटाप व मोबाइल चोरी हुआ। सीसीटीवी फुटेज में साइकिल से वह आता और बैग लेकर जाता दिखा। मुकदमा 13 जनवरी को लिखा गया, पुलिस ने उसी दिन उसे पकड़ लिया। अगले दिन 14 जनवरी को वह जेल चला गया।

तीन बंदियों के हृदय के इलाज पर नौ लाख खर्च
जिला कारागार में बंदियों के इलाज के लिए शासन से बजट आता है। पिछले साल तीन बंदी, जो बाहर रहते इलाज नहीं करा पाते, इन पर नौ लाख रुपये खर्च हुए। जयप्रकाश, भीम यादव और रितेश पांडेय के हृदय के इलाज और ऑपरेशन पर नौ लाख रुपये खर्च हुए हैं। इनके अलावा भी कई बंदी ऐसे हैं।
 

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