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आम बजट 2023 संसद में आज होगा पेश

  नई दिल्ली 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बुधवार को वित्त वर्ष 2023-24 का बजट संसद में पेश करेंगी। इस दौरान उनके सामने राजकोषीय सूझबूझ दिखाने के साथ करों में कटौती और सामाजिक सुरक्षा बढ़ाने जैसी अपेक्षाओं के बीच संतुलन साधने की चुनौती होगी। अगले साल होने वाले आम चुनाव के पहले के इस अंतिम पूर्ण बजट के जरिए सरकार लोगों की अपेक्षाओं पर भी खरा उतरने की कोशिश कर सकती है। इसके लिए सार्वजनिक व्यय में बढ़ोतरी का तरीका अपनाया जा सकता है। सीतारमण अपना 5वां बजट ऐसे समय में पेश करने वाली हैं, जब अर्थव्यवस्था के सामने वैश्विक आघातों से निपटने और घरेलू जरूरतों को पूरा करने की मुश्किल चुनौती है। बजट से पहले उद्योग संगठनों व हित समूहों के साथ चर्चा के दौरान उठी मांगों में आयकर स्लैब में बदलाव की मांग प्रमुख रही है। इससे मध्य वर्ग को राहत मिल सकती है। वहीं गरीबों पर सार्वजनिक व्यय बढ़ाने के साथ घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहन देने के उपायों की घोषणा भी की जा सकती है।

स्वास्थ्य-शिक्षा-अर्थव्यवस्था पर हो सकता है जोर
इन उम्मीदों को पूरा करते समय सीतारमण के लिए राजकोषीय सूझबूझ बनाए रखना जरूरी होगा। पिछले कुछ महीनों में मुद्रास्फीति का ऊंचे स्तर से कम होना और कर संग्रह बढ़ोतरी एक राहत की बात हो सकती है। लेकिन स्वास्थ्य, शिक्षा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर उनका खास ध्यान रह सकता है। वहीं, उद्योग निकायों ने वृद्धि और खपत बढ़ाने के लिए बजट में लीक से हटकर कुछ फैसले लिए जाने की उम्मीद भी जताई है। भारतीय उद्योग परिसंघ के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि सीआईआई को उम्मीद है कि समीक्षा में व्यक्त कुछ धारणाओं को बुधवार को पेश होने वाले आम बजट में जगह मिल जाए।

'नौकरी पेशा लोगों को आयकर में राहत के आसार'
एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार इस बजट में नौकरी पेशा लोगों को आयकर में राहत दे सकती है, क्योंकि सरकार के सकल राजस्व में बढ़ोतरी का रूख बना हुआ है। जीएसटी राजस्व संग्रह भी लक्षित दिशा में आगे बढ़ रहा है और आयकर संग्रह भी उम्मीद के अनुरूप है। उनका कहना है कि इसके साथ ही बढ़त महंगाई से परेशान आम लोगों को भी राहत मिलने की संभावना है, क्योंकि अगले वर्ष होने वाले आम चुनाव के मद्देनजर यह चुनावी बजट भी हो सकता है। उम्मीद की जा रही है कि सरकार बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान केंद्रित करेगी और कर लाभ के रूप में आम लोगों के लिए कुछ राहत की घोषणा करेगी।

'ग्रामीण रोजगार, आवास योजनाओं पर रहेगा फोकस'
अर्थशास्त्रियों को लग रहा है कि केंद्र सरकार पूंजीगत व्यय को बनाए रखते हुए कल्याणकारी खर्च में वृद्धि करेगी। इसके अलावा अर्थशास्त्रियों के मुताबिक ग्रामीण रोजगार और आवास योजनाओं पर भी अधिक ध्यान केंद्रित होने की संभावना है। मौजूदा टैक्स स्लैब में व्यक्तिगत आयकरदाताओं के लिए 2.5 लाख रुपये की मूल छूट सीमा है, जिसे 2014-15 से नहीं बदला गया है। इसका मतलब है कि इस सीमा से कम आय वाले व्यक्तियों को आयकर रिटर्न दाखिल करने की आवश्यकता नहीं है। अगले साल आम चुनाव के मद्देनजर अब बजट में आयकर छूट की सीमा को बढ़ाकर 5 लाख रुपये किए जाने की उम्मीद है। करदाताओं को यह भी उम्मीद है कि सरकार मानक कटौती को 50,000 रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपये कर सकती है।
 

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