भिलाई
स्टील अथारिटी आफ इंडिया लिमिटेड (सेल) के स्वर्ण जयंती समारोह के समापन अवसर और कंपनी की 50 वीं वर्षगांठ पर विशेष आयोजन कला मंदिर में क्रीड़ा सांस्कृतिक एवं नागरिक सुविधाएं विभाग द्वारा किया गया। इस अवसर पर संगीत संध्या का आयोजन हुआ वहीं बीएसपी सीनियर सेकेण्डरी स्कूल सेक्टर-10 के स्टूडेंट ने भिलाई की निर्माण गाथा पर केंद्रित डाक्यू-ड्रामा भिलाई का सफर, नींव से शिखर की ओरज् प्रस्तुत किया। जिसमें भिलाई इस्पात संयंत्र के स्थापना काल के दौरान देश की अलग-अलग दिशाओं से आए ग्रेजुएट इंजीनियरों के माध्यम से भिलाई के नींव से अब तक के शिखर की कहानी रोचक ढंग से बताई गई। इस दौरान मुख्य अतिथि ईडी पीएंडए एमएम गद्रे थे।
इस डाक्यू-ड्रामा में परिकल्पना, लेखन व निर्देशन मुहम्मद जाकिर हुसैन लेखक व पत्रकार का रहा वहीं सहयोगी निर्देशक निशु पांडेय आर्टकॉम भिलाई थे। इस डाक्यू-ड्रामा में भिलाई की कहानी पृथ्वीराज आहूजा, निमाई कुमार मित्रा, शिवराज जैन, डॉ ईआरसी शेखर, अशोक कुमार फोतेदार जैसे ग्रेजुएट इंजीनियर, जिन्होंने बाद के दौर में भिलाई स्टील प्लांट-सेल का नेतृत्व किया, के माध्यम से बताई गई। वहीं दल्ली राजहरा की खदान विकसित करने वाले बिमलेंदु मुखर्जी, सोवियत चीफ इंजीनियर वीई दिमशित्स, बीएसपी में भर्ती होने वाली पहली महिला इंजीनियर प्रमिला खुराना, बीएसपी में नियुक्त होने वाली पहली चिकित्सक डॉ गीता दासगुप्ता तथा भिलाई महिला समाज की संस्थापक नलिनी श्रीवास्तव के माध्यम से भी भिलाई की गाथा बताई गई।
इस प्रस्तुति के दौरान कार्यपालक निदेशक (कार्मिक एवं प्रशासन) एम एम गद्रे बेहद भावुक हो गए। अपने उद्बोधन में उन्होंने खास तौर पर इस बात का जिक्र किया कि वह खुद भिलाई में पले-बढ़े हैं और सेक्टर-1 हाई स्कूल में उनके शिक्षक बेनुराम साहू ने भिलाई पर एक कविता लिखी थी, जो उन्हें अब तक याद है। गद्रे ने पूरी कविता भी सुनाई। उन्होंने डाक्यू-ड्रामा की पूरी टीम के काम की सराहना करते हुए बधाईयां दी।