उत्तर प्रदेश

गोरखनाथ मंदिर हमला : आईएसआईएस से प्रभावित हो मुर्तजा ने पकड़ी आतंक की राह

 गोरखपुर 

आईआईटी मुम्बई जैसे प्रतिष्ठित संस्थान से केमिकल इंजीनियरिंग में बीटेक मुर्तजा अब्बासी आईएसआईएस से इतना प्रभावित हुआ कि इंजीनियरिंग के क्षेत्र में कॅरियर छोड़ कर आतंक की राह पर चल पड़ा था। मुर्तजा को जब भनक लग गई कि वह सुरक्षा एजेंसियों की गिरफ्त में आ सकता है तो उसने पहले तो भागने की कोशिश की। फिर नेपाल से अपना प्लान बदलते हुए लौटा और सीधे गोरखनाथ मंदिर पहुंचकर सुरक्षाकर्मियों पर हमला कर दिया। वह न सिर्फ जवानों की हत्या करना चाहता था बल्कि जवाबी कार्रवाई में आतंक के लिए शहीद होने का भी मंसूबा पाले हुए था। लेकिन सुरक्षा कर्मियों ने उसे जिंदा पकड़ कर उसके मंसूबों को कामयाब नहीं होने दिया। 

जांच के दौरान पता चला था कि वह आतंकी संगठन आईएसआईएस से भी काफी प्रभावित था और उसकी गतिविधियां देशविरोधी थीं। वह कुछ संदिग्ध खातों के जरिए खाड़ी देशों में रकम ट्रांसफर कर रहा था। इसी वजह से एजेंसियों के रडार पर आया था। यही वजह थी कि मुर्तजा के घर जब पहली बार एटीएस के सिपाही पहुंचे तो उसे शक हो गया और वह गोरखपुर स्थित अपने घर से गायब हो गया था। 

 गोरखनाथ मंदिर सुरक्षा में लगे जवानों पर 3 अप्रैल 2022 की देर शाम को हुए हमले से चार दिन पहले 31 मार्च को ही खुफिया एजेंसी ने यूपी पुलिस को 16 संदिग्धों की प्रोफाइल भेजी थी, इसमें मुर्तजा भी शामिल था।
दरअसल, खुफिया एजेंसी ने यूपी पुलिस को जिन संदिग्धों की प्रोफाइल भेजी थी, उनकी विदेशों से संदिग्ध बातचीत हो रही थी या विदेशी खातों में ट्रांजेक्शन हुए थे। मुर्तजा सात साल से खाड़ी देशों में रकम ट्रांसफर करने की वजह से रडार पर आया था। इतना ही नहीं उसकी संदिग्ध गतिविधिया नेपाल बार्डर पर कुछ मदरसों में भी थीं। वहां से भी इनपुट मिले थे। उसके बाद एटीएस के सिपाही सादे कपड़े में 2 अप्रैल को मुर्तजा घर पर पहुंचे थे। यहां उनकी मुलाकात मुर्तजा के चाचा से हुई थी। सिपाहियों ने कहा था कि उसके खिलाफ समन जारी हुआ है। कोई 35 लाख रुपये से जुड़ा मामला है। जब चाचा ने कागजात मांगे तो एटीएस के सिपाहियों ने मुर्तजा को बुलाने के लिए कहा। हालांकि कुछ देर बाद दोनों वापस चले गए। मुर्तजा के परिवार वालों ने गाड़ी नंबर और सीसीटीवी फुटेज के आधार पर पता कर लिया कि दोनों एटीएस से जुड़े थे। इसके बाद मुर्तजा को पता चल गया था कि वह एटीएस के रडार पर आ चुका है और अब उसका बच पाना मुश्किल है। ऐसे में उसने अपने मोबाइल और लैपटॉप को फॉर्मेट कर दिया। 

लैपटॉप से मिले थे आपत्तिजनक वीडियो 
सिविल लाइंस, पार्क रोड निवासी मुर्तजा ने हमले से कुछ माह पूर्व एक लैपटाप खरीदा था जिसकी छानबीन में कई आपत्तिजनक वीडियो मिले थे। वह सोशल मीडिया के जरिए आईएसआईएस से जुड़े कुछ लोगों के संपर्क में था। आईएसआईएस की विचारधारा से जुड़ी सामग्री उसके लैपटाप से मिली। मोबाइल फोन से कुछ फतवे भी मिले थे जिससे एटीएस को आशंका थी कि वह किसी बड़ी साजिश को अंजाम देने की तैयारी में था। उसने हथियार चलाने और हमले के तौर-तरीकों को भी इंटरनेट पर सर्च किया था। एयरगन के जरिये घर में हथियार चलाने की प्रैक्टिस भी करता था। गिरफ्तारी के बाद मुर्तजा बार-बार बयान बदलता रहा।

सोशल मीडिया पर था सक्रिय
मुर्तजा सोशल मीडिया पर भी बेहद सक्रिय था। फेसबुक पर उसके छह आईडी और करीब एक हजार दोस्त थे। उसके मित्रों में अधिकांश विदेशी या महाराष्ट्र के थे। गोरखपुर व आसपास के जिलों में उसका कोई मित्र नहीं मिला। इंस्टाग्राम, टेलीग्राम व ट्विटर पर भी उसका एकाउंट था। इसके पासवर्ड लंबे और बेहद जटिल थे, जो उसे याद थे। पुलिस का कहना था कि जिसे इतने नंबर याद हों वह मानसिक रूप से बीमार नहीं हो सकता।  

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