मध्य प्रदेश

प्रदेश की बेटी अवनि चतुर्वेदी ने जापान में फाइटर प्लेन उड़ाकर रचा एक और इतिहास

रीवा

रीवा की रहने वाली अवनी चतुर्वेदी ने एक और इतिहास रच दिया है। भारतीय वायु सेना में पहली महिला फाइटर पायलट बनने के बाद वे अब विदेश में होने वाले युद्धाभ्यास में हिस्सा लेने वाली देश की पहली महिला फाइटर पायलट बन गई हैं। स्क्वाड्रन लीडर अवनी चतुर्वेदी ने भारत और जापान के बीच हयाकुरी एयर बेस पर हो रहे युद्धाभ्यास वीर गार्जियन 2023 में सुखोई फाइटर प्लेन उड़ाया।

घर की बुलबुल ने छू ली आसमान की ऊंचाई

अवनी चतुर्वेदी को घर में सभी प्यार से बुलबुल बुलाते हैं, घर की इस बुलबुल का सपना हमेशा से ही आसमान की ऊंचाईयों को छूने का था। उनका परिवार मूलत: सतना जिले के कोथिकंचन गांव का रहने वाला है, इसके बाद वे रीवा आकर बस गए। बचपन में ही अवनी हवाई जहाज और फाइटर प्लेन से खेलती थी और मां सवित चतुर्वेदी से कहती थीं कि एक दिन मैं भी कल्पना चावला की तरह आपका नाम रोशन करुंगी। उनकी मां के अनुसार कल्पना चावला का जब दुर्घटना में निधन हो गया था तो हम घर में इसकी चर्चा कर रहे थे। उस दौरान अवनी करीब 10 वर्ष की थीं, इसी दौरान वो बोलीं कि आप चिंता मत करिये मैं भी कल्पना चावला की तरह बनूंगी। घर की बुलबुल फाइटर प्लेन उड़ाने लगी यह परिवार के लिए किसी आश्चर्य से कम नहीं।

2016 में वायु सेना की स्कवाड्रन में हुईं शामिल

भारतीय वायुसेना ने अवनि चतुर्वेदी को जून 2016 में अपनी लड़ाकू स्कवाड्रन में शामिल किया था। 2018 में अकेले मिग 21 फाइटर प्लेन उड़ाने वाली महिला फाइटर पायलटों में शामिल रहीं। अवनी फिलहाल सुखोई 30 एमकेआई फाइटर प्लेन उड़ाती हैं।

सरकारी स्कूल में हुई अवनी की पढ़ाई

अवनी के पिता दिनकर तिवारी इंजीनियर के रूप में बाणसागर परियोजना में देवलोंद में पदस्थ थे। अवनी और उनके बड़े भाई नीरभ्र की पढ़ाई यही आदर्श उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में हिंदी माध्यम में हुई। स्कूली शिक्षा के बाद उन्होंने राजस्थान की वनस्थली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया और इसके बाद भारतीय वायु सेना में चुनी गईं। उनकी ट्रेनिंग हैदराबाद एयरफोर्स एकेडमी में हुई है।
 

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