मध्य प्रदेश

सिंचाई क्षमता बढ़ाने पर सरकार का ध्यान, लेकिन हाईकोर्ट में भू-अर्जन के 400 मामले

भोपाल
प्रदेश में सिंचाई के लिए जलाशय और नहरें बनवाने के लिए अधिग्रहीत की जाने वाली किसानों की जमीन के बदले मुआवजे को लेकर विवाद बढ़ रहे हैं। सरकार जहां प्रदेश में सिंचाई क्षमता में वृद्धि के लिए इस ओर ज्यादा ध्यान दे रही है वहीं किसानों में असंतोष भी बढ़ रहा है। इन हालातों में बांध, जलाशय और अन्य सिंचाई परियोजनाओं के लिए किसानों की जमीन लेने के बाद जल संसाधन विभाग के अफसर उचित मुआवजा नहीं दिला पा रहे हैं। इसके चलते प्रदेश सरकार के विरुद्ध किसानों ने भू अर्जन प्रकरणों के चार सौ से अधिक मामलों में हाईकोर्ट में मुआवजा देने के केस दायर कर रखे हैं। इसमें सबसे अधिक मामले ग्वालियर चंबल संभाग में हैं।

जल संसाधन विभाग के अफसरों द्वारा मंजूर की जा रही सिंचाई परियोजनाओं में ली जाने वाली जमीन के मुआवजे से असंतुष्ट और मुआवजा दिए बगैर जमीन लेने के प्रकरणों में यह केस जबलपुर हाईकोर्ट और ग्वालियर, इंदौर खंडपीठ में दायर हैं। सूत्रों के अनुसार विभाग से संबंधित भू अर्जन की रिट याचिकाओं की संख्या 370 है जिसमें अधिकारियों ने जवाब दिया है और 33 ऐसे मामले हैं जिसमें किसानों की याचिका के बाद अधिकारी जवाब नहीं दे सके हैं। इसी तरह जिन मामलों में कोर्ट ने किसानों के पक्ष में फैसला दिया और किसानों को भू अर्जन के बाद राशि नहीं मिली है, ऐसे केस अवमानना के अंतर्गत दायर हैं। अवमानना के इस तरह के सात मामले में सरकार ने जवाब पेश किया है जबकि तीन में अभी कोर्ट में जवाब दिया जाना है।

ठेकेदारों ने भी सरकार के विरुद्ध दायर किए केस
किसानों के अलावा ठेकेदारों ने भी सरकार के विरुद्ध केस दायर कर रखे हैं। ये मामले काम के बदले भुगतान नहीं मिलने और टेंडर शर्तों को लेकर हैं। ठेकेदारों के तीन मामलों में कोर्ट में अवमानना के केस दर्ज हैं जिसका जवाब अफसरों ने दे दिया है। इसके अलावा कुल 108 केस ठेकेदारों ने सरकार के विरुद्ध दायर किए हैं जिसमें से 102 के जवाब तो कोर्ट में पेश किए गए हंै जबकि छह के जवाब अभी पेश किए जाने हैं।  ठेकेदारों से संबंधित कोर्ट में चलने वाले केस की परिक्षेत्र वार संख्या गंगा कछार रीवा में 15, यमुना कछार ग्वालियर में 13, धसान केन कछार सागर में 23, भोपाल परिक्षेत्र में 11, उज्जैन परिक्षेत्र में 10, वैनगंगा कछार सिवनी परिक्षेत्र में 21 है।

इन परिक्षेत्रों में इतने मामले
भू अर्जन के जो केस जल संसाधन विभाग में मुख्य अभियंता स्तर पर पेंडिंग हैं उनमें गंगा कछार रीवा में 48, यमुना कछार ग्वालियर में 120, धसान केन कछार सागर में 58, नर्मदापुरम में 11, मुख्य अभियंता उज्जैन में  50, वैनगंगा कछार सिवनी में 82 केस शामिल हैं। इसी तरह ऐसे मामले जिसमें जवाब पेश किया जाना बाकी है उसमें धसान केस कछार सागर संभाग के 20 मामले शामिल हैं।

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