देश

सरकार कश्मीरी के गांवों में हजारों लोगों को सुरक्षा के लिए देगी ऑटोमेटिक राइफलें

कश्मीर

भारतीय अधिकारी कश्मीरी गांवों में हजारों लोगों को ऑटोमेटिक हथियारों से लैस करने की तैयारी कर रहे हैं. इसी महीने की शुरुआत में घाटी में सात आम नागरिकों की हत्या कर दी गई थी, जिसके बाद अधिकारियों ने आम लोगों के एक सुरक्षा नेटवर्क को दोबारा खड़ा करने का फैसला किया है. अधिकारियों ने लगभग 26 हजार ग्रामीणों में विलेज डिफेंस गार्ड्स (VDG) को फिर से सक्रिय कर दिया है, जो बीते कुछ सालों में निष्क्रिय हो गया था.

स्थानीय पुलिस प्रमुख हसीब मुगल ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा, "हम उन वीडीजी को दोबारा संगठित कर रहे हैं जो पहले से ही वहां थे. इलाके में सालों तक हालात सामान्य बने रहने के चलते उसमें ढिलाई आ गई थी. ऐसे हमलों को रोकने के लिए हम उन्हें पुनर्गठित कर रहे हैं और प्रशिक्षित कर रहे हैं. हमने कुछ लोगों को ऑटोमेटिक राइफलें भी दी हैं.”

हिंदुओं पर लगातार हमले

जम्मू-कश्मीर के राजौरी में उग्रवादियों ने 1 जनवरी को हमला किया था. इस घटना में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के 4 लोगों की मौत हो गई थी और 7 घायल हो गए थे. गोलीबारी अलग-अलग तीन घरों पर की गई थी. पुलिस ने बताया कि राजौरी के डांगरी इलाके में हुई गोलीबारी में एक ही परिवार के सात लोग घायल हुए थे जिनमें एक महिला और एक बच्चा भी शामिल था. बाद में उनमें से चार लोगों ने दम तोड़ दिया. मरने वाले सभी हिंदू समुदाय के लोग थे.

पिछले साल घाटी में रहने वाले हिंदू परिवारों पर लगातार हमले होते रहे थे. दिसंबर में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में बताया था कि 2020 से 2022 के बीच तीन साल में नौ कश्मीरी पंडितों की मौत हुई थी. मरने वालों में कई ऐसे कश्मीरी पंडित थे जो प्रधानमंत्री विकास पैकेज के तहत घाटी में काम कर रहे 56 कर्मचारियों में शामिल थे.

प्रधानमंत्री विकास पैकेज के तहत इन 56 कश्मीरी पंडितों को घाटी में बसाया गया और वहां काम दिया गया. यह भारत सरकार की उन कश्मीरी पंडित परिवारों को वापस लाने की कोशिशों का हिस्सा है, जो 1990 के दशक में आतंकवाद के डर से राज्य छोड़कर चले गए थे. इन परिवारों की वापसी के लिए 19 जगहों पर 6,000 फ्लैट बनाए गए हैं. हालांकि पिछले साल एक के बाद एक कई हत्याएंहोने के बाद से ये कश्मीरी पंडित घाटी से बाहर कहीं और बसाए जाने की मांग कर रहे हैं.
लोगों को हथियार देना कितना सही?

1 जनवरी को राजौरी में हुई घटना के बाद अधिकारियों में इस बात की चिंता बढ़ी है कि उग्रवादी कश्मीर घाटी के बाहर जम्मू इलाके में भी अपनी गतिविधियां बढ़ा सकते हैं.एक अधिकारी के मुताबिक इसकी वजह यह भी हो सकती है कि कश्मीर घाटी में सेना की भारी तैनाती के कारण उग्रवादी गतिविधियों को अंजाम नहीं दे पा रहे हैं. इसी के चलते वीडीजी नेटवर्क को फिर से तैयार किया जा रहा है.

जम्मू के डोडा जिले में एक वीडीजी बसंत राज ठाकुर कहते हैं कि लोगों को बोल्ट-एक्शन राइफल की जगह ऑटोमेटिक हथियार देना सही कदम है. ठाकुर ने बताया, "जिस तरह हालात बदल रहे हैं, उन्हें और ज्यादा ऐसे हथियार देने चाहिए और ट्रेनिंग भी देनी चाहिए.” वीडीजी सुरक्षाकर्मियों को स्थानीय प्रशासन से चार हजार रुपये मासिक का भत्ता भी मिलता है. हालांकि कुछ वीडीजी कर्मियों पर अपराधिक गतिविधियों में शामिल होने के आरोप भी लगते रहे हैं. इसलिए उन्हें पुनर्गठित करने का स्थानीय नेताओं में विरोध भी हो रहा है.

पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने कहा, "सीमावर्ती जिलों में स्थानीय लोगों के हाथों में हथियार देने का कदम सरकार के उस दावे को गलत साबित करता है कि इलाके में हालात सामान्य हैं.” शुक्रवार को भारत के गृह मंत्री अमित शाह राज्य का दौरा करने वाले हैं जहां वे राजौरी में मारे गए लोगों के परिजनों से भी मिलेंगे.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button