मध्य प्रदेश

प्रदेश में स्वसहायता समूह हेरिटेज शराब की अगले माह से करेंगे बिक्री, नहीं लगेगा 1 साल टैक्स

भोपाल

मध्यप्रदेश में हनुमान आजीविका स्वसहायता समूह और मां नर्मदा आजीविका स्वसहायता समूह हेरिटेज शराब का अगले माह से कामर्शियल उत्पादन और विक्रय करेंगे। राज्य सरकार इन समूहों को शराब बिक्री के लिए प्रोत्साहित करने एक साल तक उनसे वैट टैक्स नहीं लेगी।

प्रदेश के अलीराजपुर जिले के कटठीवाड़ा ब्लॉक  के कोछा गांव में हनुमान आजीविकास स्वसहायता समूह और डिंडौरी जिले के अमरपुर ब्लॉक में भाखामाल गांव में मां नर्मदा आजीविका स्वसहायता समूह महुए के फूल से हेरिटेज शराब बना रहे है। अभी ये दोनो स्वसहायता समूह ट्रायल बेस पर उत्पादन कर रहे है। अगले माह से ये वाणिज्यिक रूप से हेरिटेज शराब का उत्पादन और बिक्री शुरु कर देंगे।

राज्य सरकार ने हेरिटेज शराब के उत्पादन और बिक्री को प्रोत्साहित करने के लिए इनसे लिये जाने वाले वैट टैक्स से कामर्शियल उत्पादन और बिक्री शुरु करने की तिथि से एक साल तक वैट टैक्स न लेने का निर्णय लिया है। फुटकर लाइसेंसी दुकानों से हेरिटेज शराब बिक्री पर दस प्रतिशत और होटल बार से बिकने वाली हेरिटेज शराब पर अठारह प्रतिशत की दर से वैट टैक्स वसूला जाता है। इसके बाद सरकार प्रदेश के अन्य आदिवासी अंचलों में भी हेरिटेज शराब का उत्पादन करने की अनुमति देने की तैयारी में है।

शराब पीकर वाहन न चलाने के चेतावनी होगी
हेरिटेज शराब की बोतल पर विशेष लेबल लगाकर पीने वालों को यह चेतावनी भी दी जाएगी कि शराब पीकर वाहन न चलाएं और शराब पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। बोतलबंद हेरिटेज शराब के निर्यात की अनुमति भी दी जाएगी। खुली हेरिटेज मदिरा या हेरिटेज स्पिरिट का निर्यात करने की अनुमति नहीं होगी। एचएल एक लाइसेंस धारक ही निर्यात कर सकेंगे। निर्यात होंने वाली शराब के लेबल में शराब की मात्रा, निर्माण का स्थान, एलकोहल की तीव्रता और कहां निर्यात होगी इसका भी जिक्र करना होगा। आबकारी अधिकारी द्वारा जारी एनओसी और आयात पास और उस बैच की शराब की रासायनिक टैस्ट रिपोर्ट देने पर निर्यात की अनुमति मिलेगी।

वेट अधिनियम में एक और बदलाव
वेट अधिनियम में शराब के उत्पादन और विक्रय से जुड़ा एक और बदलाव किया गया है। अब शराब की दुकानों के लिए कंपोजिट लाइसेंस जारी किए जा रहे है। देशी के साथ विदेशी मदिरा भी बेची जा सकती है। मध्यप्रदेश वेट एक्ट में शेडयूल्ड टैक्स रेट दिए गए थे। इसमें लाइसेंस होल्डर का नाम और उसके शराब बिक्री के रेट तय थे। रिटेल सेलर को इसमें छूट रहती थी क्योंंकि ये थोक विक्रेता से गोदाम पर ही शराब लेते थे। थोक विक्रेता पहले ही टैक्स दे चुका होता है। तेरह अप्रैल 2022 से एक्साइज एक्ट में बदलाव कर दिया गया है। इसलिए अब सभी दुकानों पर नाम मेें बदलाव किया गया है। इसलिए अब कंपोजिट आधार पर लाइसेंस होंगे और टैक्स भी उसी तरह लिया जाएगा।

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