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यूनिफॉर्म सिविल कोड पर भाजपा को ताकत देगा सुप्रीम कोर्ट का फैसला, क्या बोली अदालत

 नई दिल्ली 

उत्तराखंड, मध्य प्रदेश समेत देश के कई भाजपा शासित राज्यों ने यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने के प्रयास तेज कर दिए हैं। इस बीच सुप्रीम कोर्ट की ओर से सोमवार को दिया गया फैसला उनका हौसला और बढ़ा सरकता है। उत्तराखंड सरकार की ओर से राज्य में यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड लागू करने की संभावनाओं को लेकर गठित पैनल के खिलाफ दायर अर्जी को शीर्ष अदालत ने खारिज कर दिया। यही नहीं कोर्ट ने साफ कहा कि राज्य सरकार ने पैनल का जो गठन किया है, वह उसके संवैधानिक अधिकार क्षेत्र के तहत ही आता है। उसने इस पैनल का गठन करके अपने अधिकारों की सीमा नहीं लांघी है। 

अदालत के इस फैसले से उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने से पहले गठित पैनल के कामकाज का रास्ता साफ हो गया है। राज्य सरकार का कहना है कि शादी, तलाक, गोद लेने, उत्तराधिकार और बंटवारे से संबंधित मामलों में सभी के लिए एक समान कानून होना चाहिए। यह कैसे लागू हो सकता है और यह कितना जरूरी है, इसका पता लगाने के लिए पैनल का गठन किया गया है। इसी के खिलाफ दायर अर्जी पर सुनवाई करते हुए सोमवार को चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की अदालत ने कहा कि दायर अर्जी मेरिट पर खरी नहीं उतरती। चीफ जस्टिस ने कहा, 'संविधान के आर्टिकल 162 के तहत राज्य सरकारों को अधिकार है कि वे अपने स्तर पर कानून बना सकें।'

इसके साथ ही अदालत ने समवर्ती सूची के 5वें बिंदु का जिक्र किया, जिसके तहत राज्यों को अधिकार है कि वे शादी, तलाक, वसीयत, संतान गोद लेने, बंटवारे आदि पर अलग से कानून बना सकते हैं। अदालत ने कहा कि यदि केंद्र सरकार इन मामलों में कोई कानून लागू करती है तो फिर राज्य सरकारों की ओर से बनाए गए नियम उसके पूरक के तौर पर ही होंगे। बता दें कि उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने इसी साल 27 मई को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस रंजना पी. देसाई की अध्यक्षता में एक कमिटी का गठन किया है। 5 सदस्यों वाले इस पैनल को यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की संभावनाओं और प्रक्रिया पर विचार करने की जिम्मेदारी दी गई है। 

गुजरात और कर्नाटक में भी भाजपा चल सकती है दांव

इस पैनल की सिफारिशों के आधार पर ही फैसला लिया जाएगा। यही नहीं गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले भी भाजपा ने यूसीसी लागू करने का ऐलान किया था। अब चुनाव में भाजपा को बंपर जीत मिल चुकी है। ऐसे में माना जा रहा है कि राज्य सरकार की ओर से उत्तराखंड की तर्ज पर पैनल का गठन किया जा सकता है। इसके अलावा कर्नाटक में भी चुनाव से पहले भाजपा यह दांव चल सकती है। यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला उसके लिए यूनिफॉर्म सिविल को़ड की ओर बढ़ने की राह आसान कर सकता है।
 

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