बीजापुर
नक्सलियों के पश्चिम डिविजन कमेटी ने सचिव मोहन ने पर्चा जारी कर कहा कि ने जिले के गंगालूर इलाके से हमने किसी ठेकेदार का अपहरण नहीं किया है, यह पुलिस व गोदी मीडिया का झूठा प्रचार है। जारी पर्चा में लिखा है कि बघेल सरकार, गोदी मीडिया माओवादी पार्टी के ऊपर अलग-अलग झूठे आरोप लगा रहे हैं। झूठे प्रचार करने में माहिर आईजीपी कई बार विफल हुए हैं, बौखलाहट में आकर जनता को गुमराह करने के लिए मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं।
जारी पर्चे में आगे लिखा है कि 24 दिसंबर को कोंडागांव से बीजापुर तरफ आ रहे रोड ठेकेदारों का गंगालूर में नक्सलियों ने अपहरण का झूठा आरोप लगाया है। हमारे पीएलजीए बलों द्वारा किसी का अपहरण नहीं किया गया है। पुलिस ने इस तरह के प्रचार की आड़ में जनवादी तरीके से अपनी जायज मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे जनता पर, गांवों पर, हमारी पीएलजीए पर बहुत बड़ा आक्रामक हमला करने की साजिश है। उल्लेखनीय है कि 24 दिसंबर को 4 पेटी ठेकेदार लौंडीगुड़ा निवासी टेंमरु नाग, बारसूर निवासी चापड़ी बतेया, कोंडागांव निवासी निमेंद्र कुमार दीवान, नीलचंद्र नाग के अपहरण की खबर मिली थी, अपह्रित 4 लोग नक्सलियों के कब्जे में होने की बात उनके परिजनों ने मीडिया को दी थी। इस बात की जानकारी सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी एवं पेटी ठेकेदार के परिवार ने देते हुए उनकी मदद के लिए अपील की थी। इसके दूसरे दिन अपह्रित 4 पेटी ठेकेदार में से दो पेटी ठेकेदारों को छोड़ दिये जाने की खबर मिली। इसके बाद सभी 4 पेटी ठेकेदार लौंडीगुड़ा निवासी टेंमरु नाग, बारसूर निवासी चापड़ी बतेया, कोंडागांव निवासी निमेंद्र कुमार दीवान, नीलचंद्र नाग को छोड़ देने की खबर मिली। चारों अपह्रित वापस आए और रातों-रात बगैर मीडिया से मिले किसी तरह की सूचना दिए भाग गए। इस अपहरण मामले में अब तक यह ज्ञात नही हुआ कि अपह्रित-लापता 4 पेटी ठेकेदार बीजापुर के अंदरूनी क्षेत्रों में 11 दिनों तक यह कहां थे? किस के साथ थे?
वहीं दूसरी ओर पुलिस ने अपहरण की कोई जानकारी नही होने तथा परिजनों के द्वारा कोई सूचना नही देने की बात पहले दिन से कहती रही। पुलिस भी इस मामले में इससे आगे कोई जानकारी नही दी और चुप्पी बनाये हुए है। जब कि 24 दिसंबर को 4 पेटी ठेकेदार लौंडीगुड़ा निवासी टेंमरु नाग, बारसूर निवासी चापड़ी बतेया, कोंडागांव निवासी निमेंद्र कुमार दीवान, नीलचंद्र नाग के नक्सलियों के कब्जे में होने की बात उनके परिजनों ने मीडिया को दी थी। इस बात की जानकारी सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी एवं पेटी ठेकेदार के परिवार ने देते हुए मदद के लिए अपील की थी। इनके वीडियो-फोटो भी मौजूद हैं। इसके बाद चारों की रिहाई की खबर भी मिली। अब नक्सलियों द्वारा पर्चा जारी कर अपहरण को नकारे जाने के बाद तथा पुलिस के चुप्पी से अपहरण रहस्यमय हो कर रह गया है।