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 नोटबंदी पर केंद्र सरकार का फैसला सही, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई मुहर, मोदी सरकार को बड़ी राहत

नईदिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को सुप्रीम कोर्ट से नोटबंदी के मामले पर बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने दो टूक कहा है कि निर्णय प्रक्रिया गलत नहीं थी और उसमें किसी प्रकार की त्रुटि नहीं थी।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को सात दिसंबर को निर्देश दिया था कि वे सरकार के साल 2016 में 1000 रुपए और 500 रुपए के नोट को बंद करने के फैसले से जुड़े प्रासंगिक रिकॉर्ड पेश करें।

बेंच ने केंद्र के 2016 के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी, आरबीआई के वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदंबरम और श्याम दीवान समेत याचिकाकर्ताओं के वकीलों की दलीलें सुनी थीं और अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए केंद्र सरकार के 2016 में 500 रुपये और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने के फैसले को बरकरार रखा है. सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार की नोटबंदी को चुनौती देने वाली 58 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए ये फैसला सुनाया. जस्टिस अब्दुल नजीर की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने कहा कि आर्थिक फैसलों को बदला नहीं जा सकता.

इससे पहले जस्टिस अब्दुल नजीर की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने पांच दिन की बहस के बाद 7 दिसंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. फैसला सुनाने वाली बेंच में जस्टिस अब्दुल नजीर, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस  ए.एस. बोपन्ना, जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यन, और जस्टिस बी.वी. नागरत्ना शामिल रहे.

एक हजार और 500 रुपये के नोटों को बंद करने के फैसले को ‘गंभीर रूप से दोषपूर्ण’ बताते हुए पूर्व वित्त मंत्री और सीनियर कांग्रेसी नेता पी चिदंबरम ने तब यह दलील दी थी कि केंद्र सरकार कानूनी निविदा से जुड़े किसी भी प्रस्ताव को अपने दम पर शुरू नहीं कर सकती है। यह केवल आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड की सिफारिश पर किया जा सकता है।

नोटबंदी की कवायद पर फिर से विचार करने के कोर्ट के प्रयास का विरोध करते हुए सरकार ने कहा था कि कोर्ट ऐसे केस का फैसला नहीं कर सकता है, जब ‘बीते वक्त में लौट कर’ कोई ठोस राहत नहीं दी जा सकती है।

बता दें कि जस्टिस नज़ीर 4 जनवरी 2023 को सेवानिवृत्त होने वाले हैं। याचिकाकर्ताओं ने अपनी दलीलों में तर्क दिया था कि आरबीआई अधिनियम 1934 की धारा 26 (2) में नोटबंदी की निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था।

अधिनियम की धारा 26(2) में कहा गया है कि RBI की केंद्रीय बोर्ड की सिफारिश पर केंद्र सरकार (Central Government) भारत के राजपत्र में अधिसूचना द्वारा यह घोषित कर सकती है कि इस तारीख से किसी भी बैंक नोटों की कोई भी श्रृंखला बैंक के निम्न कार्यालय या एजेंसी को छोड़कर अन्य जगह मान्य नहीं होगा।
सरकार ने केंद्रीय बैंक को सलाह दी- पी चिदंबरम

एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदंबरम (Senior Advocate P Chidambaram) ने तर्क दिया कि अधिनियम के अनुसार सिफारिश आरबीआई की ओर की जानी चाहिए थी। लेकिन इस मामले में सरकार ने केंद्रीय बैंक को सलाह दी थी, जिसके बाद उसने सिफारिश की। उन्होंने कहा कि जब पहले की सरकारों ने 1946 और 1978 में नोटबंदी की थी, तो उन्होंने संसद द्वारा बनाए गए कानून के जरिए ऐसा किया था।

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