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 कैमरे-ड्रोन से एक ‘आदमखोर’ तेंदुए की तलाश, 4 बच्चों की ली है जान, हैदराबाद से बुलाया गया शिकारी

झारखंड 
झारखंड के कई जिलों में पिछले 10 दिसंबर से एक आदमखोर तेंदुए ने दहशत मचा रखी है। तेंदुए को पकड़ने के अबतक के सारे जतन फेल हो चुके हैं। 50 से ज्यादा ट्रैप कैमरे और ड्रोन लगाए जाने के बावजूद उसकी भनक नहीं मिल पा रही है। यह तेंदुआ अबतक चार मासूमों की जान ले चुका है। शाम होते ही आसपास के इलाकों में कर्फ्यू जैसी स्थिति बन जाती है। वन विभाग ने भी लोगों से सतर्क रहने को कहा है। नौबत यहां तक आ पहुंची है कि हैदराबाद से एक पेशेवर नामी शिकारी को उस तेंदुए को पकड़ने के लिए बुलाया जा रहा है। यही नहीं मेरठ से खास तौर पर स्पेशल पिंजरे भी मंगवाए गए हैं।

झारखंड के जंगलों में एक आदमखोर तेंदुए की तलाश
झारखंड में वन विभाग ने जंगल में एक आदमखोर तेंदुए की तलाश में 50 से ज्यादा ट्रैप कैमरों का जाल बिछाया है। उस जंगली जानवर को ढूंढ़ने के लिए ड्रोन कैमरों और बड़ी संख्या में कर्मचारियों-अधिकारियों को भी जंगलों में उतारा गया है। रविवार को एक अधिकारी ने बताया कि पलामू डिविजन में पिछले साल 10 दिसंबर से लेकर अबतक वह आदमखोर तेंदुआ चार बच्चों को मार चुका है। वन विभाग ने अब उस तेंदुए को बेहोश करके पकड़ने के लिए हैदराबाद के एक नामी शिकारी नवाब शाफत अली खान को भी नियुक्त किया है।

तेंदुए की वजह से 50 से ज्यादा गांवों में दहशत
अंदेशा है कि गढ़वा जिले में तीन और लातेहार जिले में एक बच्चे की हत्या उसी तेंदुए ने की है। उस आदमखोर तेंदुए ने कथित रूप से जिन मासूमों को अपना शिकार बनाया है, वे 6 साल से 12 साल की उम्र के बीच के बताए जा रहे हैं। इस तेंदुए की वजह से रामकांडा, रानका और भंडारिया ब्लॉकों में 50 से ज्यादा गांवों में दहशत कायम है। इस स्थिति को देखते हुए वन विभाग ने कहा है कि सूर्यास्त के बाद घरों से बाहर ना निकलें। रामकांडा ब्लॉक के एक किसान रविंद्र प्रसाद ने कहा, 'तेंदुए के डर से हमलोग रात में सो नहीं पा रहे हैं। महिलाएं और बच्चे सहमे हुए हैं। शाम को तो कर्फ्यू जैसी स्थिति मालूम पड़ती है।'
 
हैदराबाद से पेशेवर शिकायरी को बुलावा
गढ़वा फॉरेस्ट डिविजन ने गुरुवार को राज्य के चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन ने इस बिग कैट को आदमखोर घोषित करने का प्रस्ताव दिया था। इसके साथ उस प्रस्ताव में नवाब शाफत अली खान और एक पूर्व विधायक गिरिनाथ सिंह समेत तीन शिकारियों के नाम भी सुझाए थे। झारखंड के चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन शशिकर सामंत ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से कहा, 'एक जानवर को आदमखोर घोषित करने के लिए कुछ आधिकारिक औपचारिकताएं पूरी करनी होती हैं। हमारी पहली प्राथमिकता ट्रैंक्वीलाइजेशन के माध्यम से तेंदुए को पकड़ना है, जो कि सिर्फ एक्सपर्ट से ही मुमकिन है। इसीलिए हमने हमारी कोशिशों में मदद के लिए नवाब शाफत अली खान का सुझाव लिया है। वे सिर्फ एक एक्सपर्ट नहीं हैं, बल्कि नवीनतम उपकरणों से भी लैस हैं, जिससे जानवरों की पहचान और उसे नियंत्रित किया जा सकता है।'
 
शुरू में जिंदा पकड़ने की कोशिश होगी- वन अधिकारी
सामंत राज्य के प्रिंसिपल चीफ कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट (वाइल्डलाइफ) भी हैं। उन्होंने कहा, 'यदि उसे पकड़ना संभव नहीं हुआ, तब हम अंतिम विकल्प के तौर पर तेंदुए को मारने की सोचेंगे।' पीटीआई से खान ने भी कहा है कि उनसे राज्य के वन विभाग के अधिकारियों ने संपर्क किया है। उन्होंने कहा, 'मुझे झारखंड आने के लिए और तेंदुए की निगरानी में मदद और ट्रैंक्वीलाइजिंग में मदद के लिए कहा था। हालांकि, इस संबंध में हमें अभी तक कोई आधिकारिक चिट्ठी नहीं मिली है।'
 
अभी तक तेंदुए का कोई सुराग नहीं- विन विभाग
कुशवाहा गांव के आसपास तेंदुए के संभावित रास्ते में 50 से ज्यादा ट्रैप कैमरे लगाए गए हैं, जहां 28 दिसंबर को 12 साल के एक लड़के की उस जानवर ने जान ले ली थी। गढ़वा के डीएफओ शशि कुमार ने कहा, 'ट्रैप कैमरों से इलाके में कई जानवरों को पकड़ा गया है, लेकिन तेंदुए का अभी तक पता नहीं चला है। ट्रैप कैमरों के अलावा हम ड्रोन कैमरों का भी इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन अभी तक तेंदुए का कोई सुराग नहीं मिला है।' उन्होंने कहा था कि रविवार को कैमरों की जगह बदलने पर भी विचार किया जा रहा है। उनके मुताबिक, 'हमने मेरठ से तीन पिंजरों के आदेश दिए हैं, जो कि रविवार शाम तक पहुंचने की संभावना है।'

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