मध्य प्रदेश

कृषकों के हित में ‘न भूतो न भविष्यति’ वाला वर्ष रहा है 2022

भोपाल
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्म-निर्भर भारत के स्वप्न को साकार करने के लिये मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में प्रदेश के किसानों के हित में राज्य सरकार ने वर्ष 2022 में अभूतपूर्व निर्णय लिये। ये ऐसे निर्णय रहे, जिनसे किसानों को अप्रत्याशित रूप से दो गुने से ज्यादा लाभ मिला। किसानों का धन और समय बचा, जिसका लाभ उन्हें और उनके परिवार को मिला। हम कह सकते हैं कि किसानों के लिये वर्ष 2022 "न भूतो न भविष्यति" की उक्ति को चरितार्थ करने वाला रहा है। राज्य सरकार को लगातार 7वीं बार 'कृषि कर्मण अवार्ड' के अतिरिक्त कृषि अधोसंरचना निधि के सर्वाधिक उपयोग के लिये 'बेस्ट फरफॉर्मिंग स्टेट', मिलेट मिशन योजना में 'बेस्ट इमर्जिंग स्टेट' और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में 'एक्सीलेंस अवार्ड' प्राप्त हुआ।

प्रदेश में वन ग्राम के किसानों को भी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से लाभान्वित करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। सरकार ने महत्वपूर्ण पहल करते हुए वन ग्रामों को राजस्व ग्रामों में शामिल करवा दिया। इससे वनाधिकार पट्टेधारियों की फसलों को क्षति होने पर फसल बीमा योजना का लाभ मिलने लगा। फसल बीमा योजना का ज्‍यादा से ज्‍यादा किसान लाभ ले सकें और इसमें अपनी विभिन्न फसलों का बीमा कराने के लिये सरकार ने अधिसूचित फसल क्षेत्र का मापदंड 100 हेक्‍टेयर के स्‍थान पर 50 हेक्‍टेयर किया। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि में मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना के 4 हजार रूयये मिला कर प्रदेश के लाखों किसानों को 10 हजार रूपये की सालाना मदद की जा रही है।

प्रदेश में किसानों की ग्रीष्म कालीन मूंग को समर्थन मूल्य पर खरीदने का निर्णय लिया गया, जिससे किसानों की आय में वृद्धि हुई। चना, मसूर, सरसों की उपज का उपार्जन, गेहूँ उपार्जन के साथ किया गया। इससे किसानों को लगभग 10 हजार करोड़ रूपये का अतिरिक्त लाभ हुआ। सरकार ने 8 जिलों में तिवड़ा मिश्रित चने का उपार्जन समर्थन मूल्य पर किया। प्रदेश सरकार के 'जितना उत्पादन-उतना उपार्जन' के निर्णय से चने के उपार्जन की क्षमता में वृद्धि हुई और किसानों को 750 करोड़ रूपये का अतिरिक्त लाभ हुआ। इस वर्ष समितियों में एक दिन में किसानों से उपार्जन की अधिकतम सीमा 25 क्विंटल को समाप्त कर दिया गया।

किसानों के हित में परंपरागत फसलों के स्थान पर लाभकारी फसलों के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिये फसल विविधीकरण योजना लागू की गई। राज्य में प्राकृतिक खेती को मिशन मोड में आगे बढ़ाने के लिये भी सरकार प्रतिबद्ध है। प्रत्येक किसान को अपनी कुछ भूमि पर प्राकृतिक खेती के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है। सरकार ने निर्णय लिया है कि नर्मदा नदी के किनारों पर 4 लाख 45 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में प्राकृतिक खेती की जायेगी। एक लाख 86 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में प्राकृतिक खेती करने के लिये 60 हजार किसानों ने पंजीयन कराया है। राज्य सरकार ने यह निर्णय भी लिया कि प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों के प्रोत्साहन के लिये सरकार देसी गाय के लालन-पालन के लिये 900 रूपये प्रतिमाह का अनुदान दिया जायेगा।

सरकार ने किसानों के हित में कृषि आदानों की गुणवत्‍ता नियंत्रण को प्राथमिकता देते हुए अमानक बीज, उर्वरक एवं कीटनाशक विक्रेताओं के विरूद्ध भी इस वर्ष सख्ती से कार्रवाई की। इस वर्ष 136 बीज विक्रेताओं, 120 उर्वरक विक्रेताओं और 14 कीटनाशक विक्रेताओं की अनुज्ञप्तियों को निलंबित और निरस्त करने की कार्यवाही की। बीज, उर्वरक और कीटनाशक के 39 विक्रेताओं के विरूद्ध एफआईआर की कार्रवाई की गई।

राज्य सरकार के विशेष प्रयासों से प्रदेश में एपीडा का क्षेत्रीय कार्यालय स्वीकृत कराकर चालू कराया गया। यह कार्यालय मंडी बोर्ड भोपाल (किसान भवन) में स्थित है। इससे मध्यप्रदेश के किसानों को अपने कृषि उत्पाद निर्यात करने में सुविधा मिल रही है। साथ ही उन्हें अपनी उपज का अधिकतम लाभ भी प्राप्त हो रहा है। एपीडा की मदद से ही बालाघाट के चिन्नूर चावल को जीआई टेग मिलने में सफलता मिली है। प्रदेश के विभिन्न जिलों के उत्पादों को जीआई टेग दिलवाने के लिये एपीडा प्रयासरत है।

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